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लेखनी प्रतियोगिता -15-Dec-2022 काश मैं एक लड़का होती ?

                     काश मै भी एक लड़का होती?

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           आज सन्डे था घर के सभी सदस्य डाइनिंग टेबल परबैठे थे उसी समय कनिका आई और बोली,"  भैया मुझे यह मैथ का क्वश्चन नही आरहा है। पलीज आप मेरी  हैल्प करदो। " ईतना कहकर कनिका ने अपनी मैथ की बुक मानव के आगे रखदी।।

   मानव भी उसको देखकर मुँह बनाता हुआ बोला," अपने टीचर से पूछ लेना मेरी समझ से बाहर ये तिकनो मैट्री। "

    तब तक सन्ध्या चाय बनाकर लेआई । कनिका सन्ध्या से शिकायत करती हुई बोली," भाभी माँ आप भैया से कहदो मेरा एक क्वश्चन हल करदे।

   मानव चिड़ता हुआ बोला," अपनी भाभी माँ से करवाले यह अपने  जमाने की टापिस्ट रही हैं।"

    "भाभी माँ ऐसी बातहै तो आप ही मुझे समझादो!" कनिका सन्ध्या से बोली।

     सन्ध्या ने एक नजर उसकी मैथ की बुक पर डाली और उसके क्वश्चन को हल करते हुए बोली," लो हल होगया आपका क्वश्चन।

    जब कनिका ने देखा तब वह देखती रह गयी जिस क्वश्चन को उनकी मैडम नहीं कर सकी थी उसे भाभी ने चुटकी में कर दिया।

   कनिका अपनी भाभी से बोली," भाभी माँ आपतो छुपे रुस्तम निकली। आप हमारे स्कूल मे  टीचर क्यौ नही लग जाओ। ?"

   सन्ध्या एक आह भरती हुई बोली," काश मै भी लड़का होती और उस समय  आगे पढा़ई जारी रख सकती । लेकिन मै लड़की जो थी और मुझे  अपने गाँव से शहर जाने की इजाजत नहीं मिली। 

        भाभी माँ आप पढाई करो क्यौकि पढ़ने की कोई उम्र नही होती है आप मेरे साथ प्राईवेट पढे़गी। मै आपका बारहवी का फार्म सम्मिट करवाऊँगी। ""

     नहीं छुटकी अब तो मेरी जिन्दगी में यह चौका चूल्हा ही ठीक है। हमारे जमाने में लड़कियौ को घर से बाहर निकलने पर भी पावन्दी थी।

      सन्ध्या को अपना बचपन याद आगया। जब उसने दसवी पास की तब उसने जिला टाप किया था। सरकार उसकी पढा़ई फ्री में करवाना चाहती थी साथ में स्कालरशिप और अलग से दे रही थी।

      लेकिन उसकी दादी ने सब पर पूर्ण विराम लगा दिया और बोली," यह पढ़कर कलट्टर तो बनने से रही आखिर में चौका चूल्हा  व बच्चे ही सम्भालने होगे। दसवी पास करली बहुत है। दादी के हिटलर आर्डर के आगे सब चुप रह गये। उस दिन  सन्ध्या  खूब रोई। परन्तु दादी के सामने किसी की बोलने की हिम्मत नही थी।

      उसका भाई पढ़ने में फिसड्डी था उसे पढा़या गया।  सन्ध्या रो कर एक दो दिन बाद चुप रहगयी। वह फिर भी भाई की किताबे पढ़ती रहती थी क्यौकि दोनो एक ही साथ पैदा हुए थै एक साथ दसवी तक पढे़ थे।

     कनिका ने स्कूल में जाकर अपनी मैडम से बात की तब वह बोली ." यदि ऐसी बात है तब हम उनका नाम अपने स्कूल में लिख देते है उनको केवल परीक्षा देने आना होगा।

      कनिका और सन्ध्या दोनों ने चुपचाप उनका नाम अपने स्कूल में लिखवा दिया। जब परीक्षा का समय आया तब सबको मालूम हुआ  तब सन्ध्या व कनिका दोनों ने बारहवी की परीक्षा एक साथ दी।  सन्ध्या ने घर बैठकर पढा़ई करके भी स्कूल टाप किया।  इसके बाद सन्ध्या ने घरसे ही धीरे धीरे  पोष्ट ग्रेजुएट  की परीक्षा पास करली और इसके बाद बी एड करके उसी स्कूल में टीचर लग गयी।

    यह सब कनिका की महनत से हुआ।

    कनिका ने वहसब करवा दिया जो वह अपने बचपन में नहीं कर सकी थी

   अब कनिका सन्ध्या से बोली," भाभी माँ अब आप यह कभी  मत कहना कि काश मै भी एक लड़का होती ?

  यह सुनकर सन्ध्या हसने लगी और उसने  अपनी छोटी ननद को गले लगा लिया।

आज की दैनिक प्रतियोगिता हेतु रचना।

नरेश शर्मा " पचौरी "


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3 Comments

Gunjan Kamal

17-Dec-2022 08:51 PM

लाजवाब प्रस्तुति 👌🙏🏻

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Abhinav ji

16-Dec-2022 08:04 AM

Very nice👏👏

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Mohammed urooj khan

15-Dec-2022 05:29 PM

👌👌👌👌👌👌

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